भगवान राम जानते थे की सीता हरण होगा | फिर भी वह माता सीता के कहने पर मृग के शिकार के लिए गए | क्योंकि वे खुद चाहते थे की सीता हरण हो |
हम जानते है की त्रेतायुग में सबसे बड़ी राक्षस शक्ति रावण ही था | रावण को मारने के लिए ही देवताओं के कहने पर ही परमेश्वर भगवान श्री हरि विष्णु ने राजा दशरथ के घर राम के रूप में जन्म लिया था | जैसा पहले से ही निश्चित था की भगवान राम का जन्म आतताई शक्ति रावण को मारने के लिए हुआ है | इसलिए उनके गुरु महर्षि वशिष्ठ को भी पता था की भगवान राम कोई साधारण पुरुष नहीं बल्कि विष्णु भगवान का अवतार है |
एक बार की बात है जब चित्रकूट में बहुत सारे राक्षस हिंसक पशुओ का रूप लेकर विचरण कर रहे थे तो उन्हें देखते ही भगवान श्री राम ने कह दिया था की ये कोई साधारण पशु नहीं है |
जैसा की हम है की जब सीता माता को रावण उठा करा ले गया तो उनकी सहायता हनुमान जी ने की थी | इससे पूर्व हनुमान जी ने घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था | जब ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को वरदान मांगने को कहा तो वीर हनुमान ने भगवान राम के दर्शनों का वर माँगा | इस पर ब्रह्मा जी ने कहा की तुम्हारे गले के भीतर मोतियों की माला है जो सिर्फ किसी को दिखाई नहीं देती है | लेकिन समय आने पर इसे कोई व्यक्ति देख ले तो वही तुम्हारे राम है |
जब महाराज सुग्रीव ने संदेह के आधार पर हनुमान जी को दो युवकों ( भगवान राम और लक्ष्मण ) की परीक्षा लेने के लिए भेजा तो हनुमान जी की भेंठ दो युवको से हुई उनमे एक श्री राम और दूसरा श्री लक्षमण था श्री राम ने उसी समय हनुमान की मोतियों की माला को भगवान राम ने देखा लिया | हनुमान को पहचान लिया |
यह वास्तविकता में सोचने की बात है जो हिंसक पशुओ और हनुमान जी की माला देख सकते है वह क्या छोटे से मृग के अंदर स्थित राक्षस मरीचि को नहीं देख सकते थे | स्वयं कवि तुलसीदास ने अपनी पुस्तक राम चरित मानस में ये भी लिखा है की भगवान राम ही सीता हरण चाहते थे और उन्ही के निर्देश पर सीता हरण हुआ था |
लेकिन दंतकथाओं में ये बताया गया है की रावण ने बलपूर्वक माँ सीता का हरण किया था और भगवान राम को माता सीता की तलाश में काफी दिनों तक जंगलों में घूमना पड़ा |